Saturday, 10 March 2018

क्या कहूं??


हर तरफ चकाचौंध है, कहीं नेताओं की गाड़ियां गुजर रही हैं तो कहीं अधिकारी खुद को सरकार समझ रहे हैं, पत्रकारों की जमात चापलूसी करने में व्यस्त है और आम आदमी दिन भर की रोजी रोटी में परेशान है। जैसे ही देश की सरहद पर दुश्मन तनाव पैदा करते हैं दो देश के लोगों को व्यस्त रखने के लिए कई कई दिनों तक श्रीदेवी की मौत को अलग अलग रूपों में परोसा जाता है।

छत्तीसगढ़ के नक्सली इलाकों में कितने जवान मरे, किस जवान के घर में शादी थी, कौन अपने बच्चे का मुंह भी नहीं देख पाया, इन सबसे किसी को कोई मतलब नहीं है, मतलब है तो बस इससे कि अरे, अच्छा, क्या कहते हो, नहीं यार श्रीदेवी शराब नहीं पी होगी। क्या कहूं, ये देश इन्हीं बातों में व्यस्त है और नेता देश को लूटने में व्यस्त हैं।

एक तरफ नीमो और नमो को आपस में जोड़ा जा रहा है तो वहीं नया नियम ये कि अब 50 करोड़ रूपए से उपर का लोन लेने पर पासपोर्ट की डिटेल्स भी देनी होगी। लोग मुफ्त में ही सुब्रत राय को बदनाम कर रहे हैं, अरे उसके पास को खुद की प्राइवेज प्लेन भी दी, लेकिन बंदा माल्या और मोदी की तरह देश छोड़कर नहीं भागा और अभी भी सरकारी तंत्र के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है।

देश एक बार फिर चुनावों की तरफ बढ़ रहा है, 2014 से शुरू हुआ नरेन्द्र मोदी का काफिला 2019 की पड़ाव की ओर बढ़ रहा है। क्या कहूं, समझ नहीं आ रहा है कि काशी को क्योटो बनाने के वायदा कहां गया या फिर मुरली मनोहर जोशी की तरह ही एक बार  फिर वाराणसी के सांसद के लापता होने की फोटो गलियों में लगने वाली हैं। यहां लोगों की चिंता छोड़कर विदेशों के जमकर दौरे हो रहे हैं वहीं अरबों रूपए खर्च करने के बाद भी गंगा मैली ही है।

एक धड़ा जीएसटी जैसे मुद्दे पर सरकार को सिर आंखों पर बिठा रहा है, लेकिन दूसरी तरफ युवा बेरोजगारों से एसएसटी जैसे घोटालों में कोई भी बोलने को तैयार नहीं है, क्या कहूं समझ नहीं आ रहा है कि कब वो जादू चलेगा जिसे देखने के लिए भारत की जनता ने करिश्माई वोट के नतीजे से राजीव गांधी के बाद पूर्ण बहुमत वाली सरकार को खडा किया था।

एक तरफ दुश्मनों के सिर काटने की बात कहने वाले चुपचाप पाकिस्तान घूम आते हैं, तो वहीं विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी के मुखिया चीन जैसे देश से चुपचाप मुलाकात करते हैं, क्या कहूं समझ नहीं आता है कि सही कौन है और गलत कौन, लेकिन ये जरूर दिखता है कि हर तरफ से खोखला अपना भारत देश ही हो रहा है आने वाले दिन भारत के लिए अच्छे दिन तो बिल्कुल नहीं हो सकते हैं।