Wednesday 7 April 2010

नक्सलवाद का असली चेहरा.........


छ्त्तीसगढ़ सरकार ने नक्सलियों पर नकेल कसने के लिए जन सुरक्षा अधिनियम के नाम से एक एसा कानून बनाया जिसमें नक्सलियों से संबंध होने के शक पर भी पुलिस के पास ये अधिकार है कि वो संबंधित व्यक्ति को बिना किसी रिपोर्ट या सबूत के आधार पर गिरफ्तार करके जेल भेज सकती है, कई बड़ी हस्तियां इस अधिनियम की चपेट मे भी आये...इसके अलावा पत्रकारों से परेशान रहने वाली पुलिस ने इस कानून को पत्रकारों के प्रति भी हथियार के रुप में इस्तेमाल किया....नतीजा नक्सलियों की जो खबरें प्रेस के माध्यम से बाहर आती थीं, वो भी बंद हो गयी और नक्सलियो के द्वारा आमंत्रण मिलने के बाद भी प्रेस ने नक्सलियों से कन्नी काटना शुरु कर दिया और रही सही सूचनाएं और सरकार से बातचीत करने का एक बीच का रास्ता भी जाता रहा.......

खैर ये तो पुरानी बात हुयी.....लेकिन छः अप्रेल को दंतेवाड़ा के चिंतलनार में जो कुछ भी हुआ उसकी पृष्ठभूमि में भी जरुर ये बातें छिपी होंगी....

सभी को याद होगा की चिंतलनार हमले के कुछ घंटे पहले ही केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम ने नक्सलियों को कायर करार दिया था....जिसके बाद चिंतलनार में नक्सलियों ने सीआरपीएफ के ७६ जवानों को मौत के रास्ते में ढकेल दिया.........इस घटना से अब एक बात तो साफ है कि सरकार को नक्सलवाद से अब आर पार की लड़ाई के लिए तैयार हो जाना चाहिये, क्योंकि अब नक्सलवाद का स्वरुप वैसा नहीं है जैसा की १९६७ में नक्सलबाड़ी मे चारु मजूमदार और कानू सान्याल ने शुरु किया था.........तब मामला विकास और गरीबी से जुड़ा था, लेकिन अब नक्सलवाद का मतलब आतंक, रंगदारी और देशद्रोह हो चुका है.... एक तरफ जहां देश आतंकवाद से जूझ रहा है वहीं दूसरी तरफ देश के भीतर अपने ही लोग जब विद्रोह पर उतर जायें और विद्रोही बनकर नक्सलवाद के रुप में देश के ही खिलाफ जंग में उतर जायें तो स्थिति को काबू करने में मुश्किलें आना लाज़मी है......

आंकड़ों की मानें तो देश के २० राज्यों के २२० जिलों में नक्सलवाद ने अपना पैर पसार लिया है, ये हिस्सा देश के भूभाग का कुल ४० फीसदी हिस्सा है, जो ये साबित करता है कि देश में नक्सलवाद का फैलाव यूं ही नहीं हुआ बल्कि इसका फैलाव एक सोची समझी रणनीति के तहत किया गया है......चिंतलनार में एक तरफ जवानों के पास जहां देशी हथियार थे तो वहीं नक्सलियों ने चीन के बने अत्याधुनिक हथियारों से हमला किया, नतीजा ये की मरने वाले जवानों की संख्या ७६ हो गयी लेकिन नक्सलियों में से किसी के भी घायल होने की खबर नहीं आयी....

जगदलपुर में शहीदों को श्रद्धांजली देते वक्त गृहमंत्री चिदंबरम की आंखें भर आयीं और उन्होंने आने वाले तीन सालों में नक्सलवाद को खत्म कर देने की बात कही है॥लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या नक्सलवाद की समस्या इतनी छोटी है जितनी की सरकार सोच रही है.......ये सवाल इसलिए उठता है क्योंकि अभी तक नक्सलवाद का असली चेहरा कहीं छिपा हुआ था जो अब दंतेवाड़ा में सबके सामने आ गया है, ये चेहरा ना केवल विकृत है बल्कि विभत्स सोच के साथ अपने मंजिल की तरफ भी धीरे धीरे बढ़ रहा है.........